“साहित्य-संगीत कलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः।“
~ भर्तृहरि नीतिशतकम्
Motto
सृजनात्मकता
Vision
संवेदनात्मक दृष्टिकोण
Mission
अभिव्यक्ति कौशल का विकास
साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य साक्षात् पूँछ और सींग रहित पशु के समान है।
साहित्य मूलतः भावनाओं और कल्पनाओं का क्षेत्र है। इन भावनाओं की अभिव्यक्ति अलग-अलग विधाओं के द्वारा संभव है। विद्यार्थियों को अपनी कला एवं प्रतिभा के प्रदर्शन हेतु एक मंच की आवश्यकता होती है। इसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा सन् 1994 में विभागाध्यक्ष डॉ. फा. ईम्मानुएल बखला के मार्गदर्शन में हिंदी साहित्य सभा का शुभारंभ किया गया। इस सभा का मुख्य लक्ष्य विद्यार्थियों में साहित्यिक प्रतिभा का विकास करना और विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति हेतु मंच प्रदान करना है।
Objectives
आत्मविश्वास उपलब्धता
Means
विभिन्न विधाओं हेतु मंच की
Teacher Incharges
डॉ. रामेंद्र प्रसाद ओझा
डॉ. रीना थॉमस
Highlights
कार्यकारिणी
श्री मयंक प्रकाश द्विवेदी
सुश्री आर्या अग्रवाल
सुश्री मानशी राय
सुश्री प्रियंका
सुश्री लक्ष्मी
Activities